Thursday, July 13, 2017

IPS जसवीर सिंह की करप्शन के खिलाफ अनोखी जंग, आडियो वायरल

नई दिल्ली। लंबे समय से भ्रष्ट्राचार और कालाधन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ रहे आईपीएस जसवीर सिंह ने भ्रष्ट्राचार रूपी सिस्टम पर मोटा हथौड़ा चलाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। जसवीर सिंह ने देश के युवाओं और किसानों का आह्वान करे हुए उनको नींद से जगाने और आगे बढ़कर देश को बचाने की मुहिम छेड़ी है। यह मुहिम धरना, प्रदर्शन या रैली के जरिये नहीं, बल्कि संगीत के जरिये शुरू की है। यह मुहिम जसवीर सिंह की जंग की एक कड़ी मानी जा रही है। जब लूटा देश फिरंगियों ने...शीर्षक नामक एक आडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यू-ट्यूब चैनल के प्लेटफार्म पर यह गाना युवाओं के द्वारा खूब सुना जा रहा है। देश और दुनिया में धड़ाधड़ लोग इसे सुन रहे हैं और पसंद कर रहे हैं। इस गाने के जनक खुद जसवीर सिंह हैं। उन्होंने ही इसे लिखा और खुद गाया है। पंजाबी में इसकी बोल है…जदों लुटिया देश फिरंगियों ने…(jado lutiya desh || jasvir Singh)। 4 मिनट के इस संगीत एलबम में पूरा गाना पंजाबी में है, लेकिन म्यूजिक बेजोड़ होने और उसके मायने गंभीर होने के चलते एक सप्ताह के भीतर ही यह गाना वायरल हो गया है। …..जदों लुटिया देश फिरंगियों ने। …जदो वतन ने शहादता मांगी ने, उठ देश के जवाना, उठ देश के किसाना, ओ देश साडा जावे लुटदा…। https://www.youtube.com/results?search_query=jado+lutiya+desh-jasvir+singh उत्तर प्रदेश के इस टॉप पुलिस आफिसर की इस अनूठी पहल से संगीत-सिनेमा और महकमे से जुड़े लोग भी हैरान हैं। यही कारण है कि संगीत जारी होने के तीन दिन के भीतर ही इसका हिंदी वर्जन और वीडियो वर्जन लाने की पेशकश कईयों ने कर दी है। लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार के कहर से हर वर्ग परेशान है, लिहाजा इस गाने को पंजाबी से ज्यादा हिंदी में लाने की जरूरत है, ताकि यूपी-बिहार जैसे राज्यों के गांव-गांव में लोग इसे आसानी से सुन और समझ सकें। भारतीय पुलिस सेवा के 1992 बैच के इस अधिकारी ने पहले दिन से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरू की है। यही कारण है कि इन्हें ढाई महीने से ज्यादा कोई पोस्टिंग नहीं दी गई। देश सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश कैडर में तैनात जसवीर सिंह वर्ष 1997 में तब सुर्खियों में आए, जब वह पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ नियुक्त हुए, और कुंडा के विधायक राजा भैया पर शिकंजा कसा। इस घटना से जनता तो खुश हुई, लेकिन सियासी लोगों का दाना पानी बंद होने लगा। यही कारण है कि कुछ दिनों के भीतर ही जसवीर सिंह को प्रतापगढ़ से हटा दिया गया। यहीं से जसवीर सिंह का भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग और तेज हो गई। ------------------------------------------------- मुलायम सरकार में पकड़ा था देश का सबसे बड़ा खाद्यान्न घोटाला यूपी के इस चर्चित आईपीएस अधिकारी को अच्छी पोस्टिंग तो दूर,खराब पोस्ट देने के लिए भा प्रदेश सरकारें 100 बार सोचती थी। यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार जब बनी तो उन्होंने सबसे घटिया पद माने जाते एसपी फूड सेल के पद पर तैनाती दी। यहां न तो बैठने के लिए कुर्सी थी और न ही चलने के लिए सरकारी वाहन। बावजूद इसके जसवीर सिंह ने इसी विभाग में अनोखा काम किया और छह महीने के भीतर देश के सबसे बड़े खाद्यान्न घोटाले का पर्दाफाश किया। तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेई की केंद्र सरकार की पहल पर जसवीर सिंह को खाद्यान्न घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। जसवीर ने यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में कैंप करके एक बड़ा खेल उजागर किया, जिसमें मंत्री, सांसद, विधायक एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी शामिल थे। इस घोटाले की पूरी फाइल वर्तमान में सीबीआइ्र्र के पास विचाराधीन है। यह घोटाला 1200 करोड़ रूपयों से ज्यादा का है। जसवीर सिंह के मुताबिक इस घोटाले में गरीबों को दिया जाने वाला अनाज कागजों में तो गरीबों के घर पहुंचा दिया गया, लेकिन हकीकत में इसे बांग्लादेश एवं अन्य राज्यों में बेच दिया गया। सैकड़ो ट्रक सरकारी अनाज ब्लैक में बेच दिया गया था। इस घोटाले को उजागर करने का खामियाजा जसवीर सिंह को ठीक से चुकाना पड़ा। नतीजन, उन्हें न तो अच्छा पद मिला और न ही कोई सुविधा। ----------------------------------------------- क्या आप जानते हैं? ब्लैकमनी केस को जसवीर सिंह ने उठाया मुलायम सिंह यादव की सरकार जाने के बाद यूपी में बसपा की सरकार बनी और मायावती जी मुख्यमंत्री बन गई। इसके बाद लगा कि मायावती जी जसवीर सिंह को ईनाम देंगी, लेकिन ऐसा कतई नहीं हुआ। वह भी इधर-उधर की पोस्टिंग पर दौड़ाती रहीं। नतीजन थक हारकर जसवीर ने देशहित से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ गए। जसवीर सिंह ने मायावती के राज में ही देश के दो बहुचर्चित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में उठाया। ब्लैकमनी इनका मुख्य मुद्दा था। कालेधन के खिलाफ जो संग्राम चल रहा था, उसकी शुरूआत वर्ष 2007 में आईपीएस जसवीर सिंह ने की थी। उनके द्वारा सामाजिक फोरम –भारत पुनुरूथान अभियान के अन्तर्गत जसवीर इसे सुप्रीम कोर्ट ले गए। देश की सर्वोच्च अदालत ने वर्ष 2010 में केस स्वीकार किया। इसके बाद जुलाई 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाया। साथ ही कालेधन को खत्म करने के लिए एसआईटी बनाने का आदेश हुआ। हांलाकि इसका श्रेय सरकार ले रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि जसवीर ने अपनी नौकरी ताक पर रखकर कालेधन के लिए एसआईटी बनवाने के लिए जान लगा दी। जसवीर सिंह खुद कहते हैं कि केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार भी नहीं चाहती थी कि कालेधन पर एसआईटी बने। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार को न चाहते हुए भी मजबूरी में एसआईटी बनानी पड़ी। हालांकि, इसका खामियाजा जसवीर सिंह को भुगतना पड़ा। केंद्र सरकार ने जसवीर सिंह को आज तक प्रमोशन नहीं दिया। केंद्र सरकार में जसवीर आज भी डीआईजी हैं। ----------------------------------------- ब्लैकमनी केस अपने साइन से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया देश में कालाधन के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले जसवीर सिंह ने नौकरी में रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपने हस्ताक्षर से याचिका डाली थी। इसके बदले में यूपी की मायावती सरकार ने जमकर परेशान किया। करीब साढ़े 4 साल तक मायावती ने प्रमोशन रोक दिया। साथ ही कई केस और लाद दिए। मायावती सरकार के तत्कालीन भ्रष्ट नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट जाने की गुस्ताखी में जसवीर को नौकरी से बर्खास्त करने की तैयारी कर ली। मायावती सरकार को कालाधान का मुद्दा उठाना कतई अच्छा नहीं लगा। यही कारण है कि जसवीर को परेशान करती रही। यह तो अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने जसवीर सिंह की बात को सही ठहराया और उनकी नौकरी बहाल करवाई। सुप्रीम कोर्ट के सख्त हस्तक्षेप के बाद ही जसवीर सिंह को यूपी में प्रमोशन और वेतन मिलना शुरू हुआ। ------------------------------ कैश फॉर वोट स्कैम की लड़ाई लड़ी भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई इस जंग में कैश फॉर वोट स्कैम को भी जसवीर सिंह ने अदालत के जरिये पर्दाफाश करवाया। आईपीएस जसवीर सिंह की याचिका पर ही मामला तूल पकड़ा और देश केे कई दिग्गज नेता जेल की सलाखों में पहुंचे। इसमें समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ दिग्गज नेता भी शामिल हैं। -------------------------- सीवीसी चीफ के खिलाफ भी डाली याचिका भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने वाला देश का सबसे बड़ा विभाग सीवीसी है, जिसके प्रमुख पीजे थामस को पद से हटाने के लिए आईपीएस जसवीर सिंह ने ही सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। नौकरी में रहते हुए उन्होंने इस बहुचर्चित कुर्सी को हिला दिया था। जंग लडऩे के लिए खुद की कानून की पढ़ाई आईपीएस जसवीर सिंह जिस राह पर चल पड़े हैं, उसपर कानूनी दांव पेंच की बहुत जरूरत होती है। यही कारण है कि नौकरी में रहते हुए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पहले एलएलबी की डिग्री ली। फिर एलएलएम की पढ़ाई पढ़ी। एलएलएम में तो गोल्ड मैडलिस्ट भी हैं। आईपीसी के साथ-साथ कानूनी जानकारी होने के कारण ही जसवीर सिंह को अदालतों में सफलता मिलती गई। साथ ही कानूनी दांव-पेंच भी बारीकी से पता चल गया कि कैसे काम करना है। --------------------------------------- भ्रष्ट्राचार के खिलाफ बनाया फोरम जसवीर सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को और ज्यादा धार देने और पूरी रणनीतिक तरीके से लडऩे के लिए वर्ष 2007 में एक सामाजिक फोरम भारत पुनुरूत्थान अभियान बनाया। इसमें देश के चर्चित अधिकारी प्रकाश सिंह, विजय शंकर पांडेय सहित दो दर्जन दिग्गज शामिल हुए। इसके अलावा सामाजिक लोग एवं पत्रकार भी इससे जोड़े गए। ----------------------------------------- देश सर्वोपरि है, इसे बचाना होगा : जसवीर सिंह आईपीएस जसवीर सिंह के अनुसार देश सर्वोपरि है। राष्ट्र कार्य सर्वोपरि है। इसके लिए किसी प्रकार का बलिदान देने के लिए अधिकारियों को तत्पर रहना चाहिए। देश कठिन समय से गुजर रहा है। सिस्टम में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के द्वारा भ्रष्ट्राचार और कालेधन, राजनीतिक दलों का कालाधन देश को खोखला कर रहा है। इनकी गद्दारी के कारण चुनौती और कठिन होगी। लिहाजा, संपूर्ण देश को एकजुट करने का प्रयास है। अपने हस्तलिखित एक गीत के द्वारा देश के युवाओं, किसानों और समस्त नागरिकों का आह्वान किया है। --------------------------------- कौन हैं जसवीर सिंह पंजाब के होशियापुर जिले में स्थित एक गांव में एक किसान परिवार में जन्में जसवीर सिंह 1992 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। मेरठ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले जसवीर सिंह सबसे ज्यादा प्रतापगढ़ में करीब ढाई महीने तक पुलिस अक्षीक्षक के पद पर तैनात रहे। इसके बाद 10 दिन से ज्यादा किसी और जिले में नहीं रह पाए। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश में एडीजी (होमगार्ड) के पद पर लखनऊ में तैनात हैं।